Mahajanpad (महाजनपद)
जन (वैदिक काल) → जनपद → महाजनपद
- महाजनपदों का उदय एक नगरीय क्रांति की भांति प्रतीत होता है।
- बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तर निकाय तथा महावस्तु के अनुसार महाजनपदों की संख्या 16 थी।
- जैन ग्रंथ भगवती सूत्र के अनुसार भी इनकी संख्या 16 थी।
- महापरिनिर्वाण सुत्त में 6 महानगरों की सूचना मिलती है।
- पाणिनि ने 22 महाजनपदों की बात की है।
16 महाजनपद
क्र० |
महाजनपद |
राजधानी | स्थिति |
1 | अंग | चम्पा (प्राचीन नाम - मालिनी) | भागलपुर & मुंगेर |
2 | अश्मक/अस्सक | पोटली/पोटन | महाराष्ट्र |
3 | काशी | वाराणसी | वाराणसी |
4 | कोसल | साकेत (प्रथम) & श्रावस्ती (द्वितीय) | अयोध्या & श्रावस्ती |
5 | मगध | राजगीर/गिरिव्रज | दक्षिण बिहार (पटना + गया) |
6 | वज्जि | वैशाली | उत्तरी बिहार (दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, शिवहर, मुजफ्फरपुर) |
7 | मल्ल | कुशीनारा एवं पावा | गोरखपुर, देवरिया |
8 | वत्स | कौशाम्बी | कौशांबी क्षेत्र |
9 | पांचाल | उत्तरी राजधानी - अहिच्छत्र तथा दक्षिणी-काम्पिल्य |
बरेली तथा फर्रुखाबाद |
10 | मत्स्य | विराटनगर | अलवर, भरतपुर |
11 | शूरसेन | मथुरा | मथुरा |
12 | अवन्ति | उत्तरी - उज्जयिनी & दक्षिणी - महिष्मति |
मालवा एवं निकटवर्ती क्षेत्र |
13 | गांधार | तक्षशिला | पेशावर, रावलपिंडी |
14 | कम्बोज | राजपुर/हाटक | कश्मीर के उत्तर में |
15 | कुरु | इंद्रप्रस्थ | दिल्ली के आसपास |
16 | चेदि | सोत्थिवती / सुक्तिमती | आधुनिक बुंदेलखंड |
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महाजनपदों का सामान्य परिचय
१. अंग
यह मगध के पूर्व में था। वर्तमान में इसकी स्थिति मुंगेर व भागलपुर है। इसकी राजधानी चंपा थी, जिसका पुराना नाम मालिनी था। महापरिनिर्वाणसुत्त में ०६ महानगरों की चर्चा मिलती है, जिनमें चंपा(अंग) भी था। अन्य पांच थे -राजगृह, श्रावस्ती, काशी, कौशांबी, साकेत। चम्पा का वास्तुकार महागोविंद था।
२. अश्मक/अस्सक
इसकी राजधानी पोटली या पोटन थी। यह नर्मदा व गोदावरी नदियों के मध्य अवस्थित था। यह दक्षिण भारत का एकमात्र महाजनपद था। इस राज्य के राजा इक्ष्वाकुवंशी थे। अवन्ति के साथ संघर्ष चलता रहता था। कालांतर में यह अवन्ति के अधीन हो गया।
३. काशी
काशी की राजधानी वाराणसी थी। तीर्थंकर पार्श्वनाथ के पिता अश्वसेन काशी के राजा थे। काशी का सबसे शक्तिशाली शासक ब्रह्मदत्त था। इसका कोशल राज्य के साथ संघर्ष रहता था।
४. कोशल
इसकी दो राजधानियां थी। प्रथम-साकेत तथा दूसरी-श्रावस्ती। यह नेपाल से लेकर सई नदी तक विस्तृत था। इसके राजा प्रसेनजित थे।
५. मगध
इसकी राजधानी राजगृह या गिरिव्रज थी। वर्तमान स्थिति - पटना एवं गया जिला। गिरिव्रज पर्वतों से घिरी राजधानी थी। यह सबसे शक्तिशाली महाजनपद था। मगध की स्थापना बृहद्रथ ने की थी। बाद में जरासंध यहां का शासक हुआ। बाद में → हर्यंक वंश → शिशुनाग वंश → नंद वंश → मौर्य
६. वज्जि
यह 8 राज्यों का संघ था। इसकी राजधानी वैशाली थी। यह उत्तरी बिहार में गंगा के उत्तर में अवस्थित था। वैशाली का लिच्छवी गणराज्य दुनिया का प्रथम गणराज्य माना जाता है। अजातशत्रु व वज्जि संघ का तनाव रहता था। बाद में वस्सकार के षड़यंत्र द्वारा मगध से पराजित हुआ।
७. मल्ल
मल्ल भी गणतंत्र था। इनमे पावा के मल्ल एवं कुशीनारा के मल्ल शामिल थे। मल्लों के कुशीनारा में ही तथागत बुद्ध को महापरिनिब्बान प्राप्त हुयी थी।
८. वत्स
इसकी राजधानी कौशाम्बी थी। उदयन यहाँ का एक शासक था। वर्तमान में आज का प्रयागराज व आसपास का क्षेत्र आता है। आज कौशाम्बी उत्तर प्रदेश का एक जनपद है। इसकी स्थापना हस्तिनापुर के पतन के पश्चात् हुयी थी।
९. पांचाल
इसकी दो राजधानियां थी . उत्तरी-अहिच्छत्र (रामनगर, बरेली) तथा दक्षिणी-काम्पिल्य (फर्रुखाबाद, बदायूं)। राजा द्रुपद यहाँ के एक शासक थे जो कि द्रोपदी के पिता थे। कालांतर में द्रुपद दक्षिणी पांचाल तक सीमित हो गए तथा उत्तरी पांचाल अश्वत्थामा के पास चला गया।
१०. मत्स्य
इसकी राजधानी विराटनगर थी। इसकी वर्तमान स्थिति भरतपुर, अलवर तथा जयपुर में आती है। विराटनगर की स्थापना विराट नामक राजा ने बसाया था।
११. शूरसेन
इसकी राजधानी मथुरा थी। बुद्धकाल में यहाँ का शासक अवंतिपुत्र था जो कि भगवान बुद्ध का एक शिष्य था। यूनानी लेखकों ने इसे शुरसेनोई तथा राजधानी को मेथोरा कहा है। पुराणों में यहाँ के शासक वंश को यदुवंश कहा गया है। श्रीकृष्ण के समय यदुवंश अपने चरमोत्कर्ष में था।
१२. अवंति
इसकी दो राजधानियां थी। उत्तरी भाग की राजधानी उज्जयिनी थी तथा दक्षिणी भाग की राजधानी महिष्मति थी। इनकी वर्तमान स्थिति मालवा व समीपवर्ती क्षेत्र है। यह महाजनपद भी मजबूत स्थिति में था, क्यूंकि यहाँ लोहे की खाने थी तथा लौह उपकरण बनते थे, जिससे सैन्य व्यवस्था मजबूत हुयी थी। प्राचीनकाल में यहाँ हैहय वंश का शासन था। हैहय ब्रम्हा की १२वीं पीढ़ी की संतान था। चंड प्रद्योत अन्य शासक था।
१३. गांधार
गांधार की राजधानी तक्षशिला (Taxila) थी। इसकी वर्तमान स्थिति में कश्मीर कुछ भाग तथा पाक व अफगान के कुछ हिस्से आते हैं। पुरुषपुर (पेशावर) एक अन्य महत्वपूर्ण नगर था। तक्षशिला व्यापारिक केंद्र था तथा शिक्षा का भी केंद्र था। इसका अस्तित्व ११वीं सदी तक रहा। गांधारी यहाँ की राजकुमारी थी, जिसका विवाह धृतराष्ट्र से हुआ था। यहाँ का शासक शकुनी था। कुषाणों द्वारा यहाँ बौद्ध धर्म विस्तृत हुआ। यहाँ की सांस्कृतिक कला की शैली का नाम कालांतर में 'गांधार शैली' के नाम से चर्चित हुआ।
१४. कम्बोज
इसकी राजधानी राजपुर या हाटक थी। इसका विस्तार कश्मीर से हिंद्कुश तक अनुमानित है। गांधार का समीपवर्ती राज्य था यह अपने घोड़ों के लिए प्रसिद्ध था।
१५. कुरु
इसकी राजधानी इंद्रप्रस्थ थी, जो कि आधुनिक दिल्ली व समीपवर्ती क्षेत्र है। यमुना नदी के पश्चिम में है। यहाँ कौरव राजा थे। महाभारत में इसका विस्तृत वर्णन है। इसका विकास भरत व पुरु के संयोग से हुआ था।
१६. चेदि
इसकी राजधानी सुक्तिमती या सोत्थिवती थी। यह आधुनिक बुंदेलखंड क्षेत्र में विस्तृत था। यहाँ का राजा शिशुपाल था। इसका वध श्रीकृष्ण ने किया था।
बुद्ध काल के 10 गणतंत्र
- कपिलवस्तु के शाक्य
- सुसुभारगिरि के भग्ग/सुमसुमारा के भग्ग
- अलकप्प के बुली
- केसपुत्त के कलाम
- रामग्राम के कोलिय
- पिप्पलिवन के मोरिय
- मिथिला के विदेह
- कुशीनारा के मल्ल
- पावा के मल्ल
- वैशाली के लिच्छवि
१. कपिलवस्तु शाक्य
यह शाक्यगण की राजधानी थी। तथागत बुद्ध का जन्म इसी गणराज्य में हुआ था। बुद्ध (सिद्धार्थ) यहाँ के शासक शुद्धोधन के पुत्र थे। तथागत का जन्म यहाँ से कुछ दूरी पर लुम्बिनी में हुआ था। इसे अब रुम्मिनदेई कहा जाता है। इसकी वर्तमान स्थिति नेपाल में मानी जाती है। विंसेट स्मिथ इसकी अवस्थिति उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में मानता है। रुम्मिनदेई से सम्राट अशोक का एक स्तम्भ लेख मिला है। इसके (शाक्य) वंश का विनाश विड्डुभ ने किया था जो कि कोशल का शासक था। शाक्य स्त्रियों को भिक्षुणी संघ की स्थापना का श्रेय जाता है।
२. सुसुभारगिरि के भग्ग
भग्ग सम्भवतः भर्ग का विकृत या पाली रूप है। इसकी वर्तमान स्थिति मिर्ज़ापुर में है।
३. अलकप्प के बुली
इसकी राजधानी बेतिया थी। इसकी वर्तमान स्थिति शाहाबाद, आरा और मुज़फ्फरनगर जिलों के बीच है। ये लोग बौद्ध अनुयायी थे।
४. केशपुत्त के कलाम
तथागत बुद्ध के गुरु आलार कलाम इसी राज्य से थे। इन्होने बुद्ध को सांख्य दर्शन की शिक्षा थी। कलामों का सम्बन्ध पांचाल के केशियों के साथ था।
५. रामग्राम के कोलिय
कोलियों की राजधानी रामग्राम की पहचान रामगढ ताल से गयी है, जो कि गोरखपुर जिले में पड़ता है। रामग्राम में बुद्ध के महापरिनिब्बान के पश्चात् शरीर की भस्म के एक भाग के ऊपर एक महास्तूप बनवाया गया था। यह कपिलवस्तु से पूर्व की ओर अवस्थित था।
६. पिप्पलिवन के मोरिय
यह क्षेत्र नेपाल की तराई व गोरखपुर के बीच अवस्थित था। कुछ विद्वानों का मानना है कि बस्ती जिला का पिपरिया या पिपरावा ही पिप्पलिवन था। कुछ विद्वानों का मानना है कि मौर्य वंश की जड़े इसी वंश में हैं। मोरिय शब्द से ही मौर्य शब्द बना है। अंगार स्तूप पिप्पलिवन में था।
७. मिथिला के विदेह
यहाँ के राजा जनक थे जो कि एक दार्शनिक थे। इनकी पुत्री जानकी थी। इसकी पहचान जनकपुर से की जाती है। महाभारत में मिथिला के शासकों को विदेहवंशीय कहा गया है।
८. कुशीनारा के मल्ल
मल्ल सैनिक प्रवत्ति के थे। इसकी वर्तमान स्थिति उतर प्रदेश के देवरिया में बताई जाती है। महात्मा बुद्ध यहाँ के शालवन में ठहरते थे। यहीं पर बुद्ध को महापरिनिब्बान प्राप्त हुआ था। इसलिए यह स्थल पवित्र बौद्ध तीर्थस्थल माना जाता है। अजातशत्रु ने इसे जीत लिया था तथा मगध में मिला लिया था। वाल्मीकि रामायण में मल्लो को लक्ष्मण के पुत्र चंद्रकेतु मल्ल का वंशज कहा गया है।
९. पावा के मल्ल
यह आधुनिक कुशीनगर जिले में पडरौना नामक स्थल में था। जीवन के अंतिम पड़ाव में तथागत ने यहीं पर चुंद के द्वारा प्रदत्त सुकरमछव (सुअर के मांस से बना एक प्रकार का भोज्य पदार्थ) खाया था, जिसके बाद उन्हें अतिसार हो गया था तथा कुशीनगर पहुंचने पर वे महानिर्वाण को प्राप्त कर गए थे।
१०. वैशाली के लिच्छवि
इसकी वर्तमान स्थिति मुजफ्फरपुर में बसाढ़ नामक स्थान में है। महावग्गजातक के अनुसार यह वज्जिसंघ का सबसे प्रमुख व शक्तिशाली नगर था। यहाँ बुद्ध के निवास के लिए महावन में के कुटाग्रशाला लिच्छवियोँ ने बनवायी थी। यहाँ का राजा चेटक था जिसकी पुत्री चेल्लणा (चेलना) का विवाह मगध के राजा बिम्बिसार से हुआ था। इसकी (चेटक की) बहन त्रिशला भगवन महावीर की माँ थी। लिच्छवि राजतन्त्र से गणतंत्र में परिवर्तित हुआ था। इस गणराज्य की स्थापना सूर्यवंशीय इक्ष्वाकु के पुत्र विशाल ने की थी। इसीलिए इसका नाम वैशाली पड़ा।
Content by: Manish Tsunami
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