- नामकरण : आर्य सभ्यता, वैदिक संस्कृति या ऋग्वैदिक सभ्यता
google photo - वैदिक शब्द संस्कृत के वेद से बना है जिसका अर्थ ज्ञान होता है
- विभाजन
: लोहे
के प्रयोग के आधार पर दो भागों में विभाजित -
१) ऋग्वैदिक काल या पूर्व वैदिक काल (1500BC से 1000BC)२) उत्तर वैदिक काल (1000BC से 600BC) - वैदिक सभ्यता मूलतः ग्रामीण थी
- समाज का आधार परिवार होता था
- समाज पितृ सत्तात्मक था
- आर्यों का मूलभूत स्थान कृषि व पशुपालन था
- कृषि योग्य भूमि को उर्वरा या क्षेत्र कहा जाता था
- वैदिक साहित्य के अंतर्गत चार वेद, ब्राह्मण ग्रन्थ, अरण्यक तथा उपनिषद आते है
- वेदों को संहिता भी कहा जाता है
- वेदों को श्रुति तथा आपौरुषेय भी कहा जाता है
वैदिक संस्कृति (Vedic Culture)
- Manish KRK Rawat
वैदिक संस्कृति की विशेषताएं
वैदिक साहित्य (Vedic Sahitya)
इस विडियो के द्वारा वैदिक संस्कृति पर विधिवत चर्चा की गयी है, देखिये -
- इसमें देवताओं की स्तुति में गाये गए मन्त्रों का संग्रह है
- दुनिया के प्राचीनतम ग्रंथों में एक संस्कृत भाषा में है
- ऋग्वेद में दस मंडल (Division) है
- ऋग्वेद में 1028 सूक्त (Hymn) है
- इसमें लगभग 10460 मंत्र हैं
- दुसरे से सातवें मंडल प्राचीन हैं तथा 1,8,9 व 10 बाद में जोड़े गये हैं
- दसवें मंडल के पुरुष सूक्त में वर्ण व्यवस्था का उल्लेख है
- सातवां मंडल वशिष्ट से सम्बंधित है
- दुसरे से सातवें मंडल को गोत्र मंडल के नाम से जाना जाता है
- गायत्री मंत्र तीसरे मंडल में है, यह सूर्य देवता को समर्पित है
- ऋग्वेद की सबसे पवित्र नदी सरस्वती थी, इसे नदीतमा कहा गया है
- ऋग्वेद के ब्राह्मण ऐतरेय, कौषितकी
- ऋग्वेद का उपवेद आयुर्वेद है
- इसके उपनिषद ऐतरेय, कौषितकी
- इसके अध्येता को होत्र कहा जाता था
- ऋग्वेद में जन शब्द 275 बार मिलता है
- गौ शब्द 176 बार मिलता है
ऋग्वेद (Rigveda)
नीचे दिए गए विडियो में ऋग्वेद के बारे में विस्तृत चर्चा की गयी है, एक बार जरुर देखे -
- यह गायन शैली में है
- भारतीय संगीत की उत्पत्ति इसी से मानी जाती है (सा रे गा मा प ध नी)
- इसके ब्राह्मण तांड्य, जैमिनीय
- इसका अरण्यक छांदोग्य, जैमिनीय
- इसके अध्येता को उद्गाता कहा जाता है
- इसका उपवेद गंधर्ववेद है
- इसके उपनिषद छान्दोग्य, जैमिनीय
- छान्दोग्य उपनिषद सबसे प्राचीन है
- छान्दोग्य उपनिषद में तीन आश्रमों का उल्लेख है | इसी में तत्वमसि (अहम् ब्रम्हास्मि) का उल्लेख है
- यजु का अर्थ होता हैं यज्ञ
- यह गद्य, काव्य दोनों में है
- इसके दो भाग हैं - १) शुक्ल यजुर्वेद या वाजसनेयी संहिता, २) कृष्णा यजुर्वेद
- इसका उपवेद धनुर्वेद है
- इसके ब्राह्मण शतपथ, तैतरीय
- इसके आरण्यक शतपथ, तैतरीय, वृहदारण्यक
- इसके अध्येता को अध्वर्यु कहते हैं
- इसके उपनिषद तैतरीय, वृहदारण्यक, कठोपनिषद, श्वेताश्वर उपनिषद, मैत्रायण उपनिषद, महानारायण
- वृहदारण्यक उपनिषद सबसे बड़ा उपनिषद है
- यम-नचिकेता संवाद कठोपनिषद में है
- गार्गी-याज्ञवल्क्य संवाद वृहदारण्यक में है
- भक्ति शब्द का पहला उल्लेख श्वेताश्वर उपनिषद में है
- इसका नाम अथर्वा ऋषि के नाम पर रखा गया
- इसे ब्रह्मवेद भी कहा जाता है
- इसमें सभा व समिति को प्रजापति की दो पुत्रियाँ कहा गया है
- इसका ब्राह्मण गोपथ है
- इसके अध्येता हो ब्रम्ह कहते हैं
- इसके उपनिषद मुन्डकोपनिषद, माण्डुक्य उपनिषद तथा प्रश्न उपनिषद हैं
- मुंडकोपनिषद में सत्यमेव जयते शब्द है
- माण्डुक्य उपनिषद सबसे छोटा उपनिषद है
- इसका उपवेद शिल्पवेद है
सामवेद (Saamved)
यजुर्वेद (Yajurved)
अथर्ववेद (Atharvved)
नोट :- सबसे प्राचीनतम वेद ऋग्वेद है। ऋग्वेद, सामवेद तथा यजुर्वेद को वेदत्रयी कहा जाता है। भगवत गीता, ब्रह्मसूत्र उपनिषद को प्रस्थानत्रयी कहा जाता है। उपनिषदों की सख्या 108 है।
- कुभा (काबुल)
- वितस्ता (झेलम)
- परुषिणी (रावी)
- शतुद्रि (सतलज)
- विपाशा (व्यास
- अस्किनी (चिनाव)
- ऋग्वेद के सातवें मंडल में उल्लेख है
- यह युद्ध परुषिणी नदी के किनारे भरत राजा सुदास तथा दस राजाओं के बीच लड़ा गया, सुदास की विजय हुयी
- ऐसा साहित्य जिसकी रचना वैदिक काल के बाद हुयी लेकिन उसे वैदिक काल की जानकारी मिलती है,
- जैसे - वेदांग, उपवेद, स्मृतियाँ, पुराण, महाकाव्य आदि
- इनकी संख्या 6 है - शिक्षा, कल्प, निरुक्त, व्याकरण, ज्योतिष एवं छंद
- शिक्षा - शुद्ध उच्चारण हेतु
- कल्प - वैदिक कर्म कांडो को संपन्न कराने हेतु | इसके तीन भाग है - श्रोतसूत्र, गृहसूत्र, धर्मसूत्र
- श्रोतसुत्र - यज्ञो से सम्बंधित है, इसका एक खंड सुल्वसूत्र है, जिसमे यज्ञवेदी के निर्माण की चर्चा है| यह ज्यामितीय विज्ञान से सम्बंधित है
- गृहसूत्र - इसमें मनुष्य के लौकिक एवं पारलौकिक कर्तव्यों का वर्णन है | इसमें 16 संस्कारों की चर्चा है -
- गर्भाधान
- पुंसवन - भ्रूण रक्षा हेतु
- सिमन्तोंनयन - भ्रूण की मानसिक वृद्धि हेतु
- जातकर्म - पिता द्वारा पुत्र को आशीर्वाद व शहद चटाना
- नामकरण
- निष्क्रमण
- अन्नप्राशन
- मुंडन (चूडाकर्म)
- कर्णछेदन
- विद्यारम्भ
- उपनयन
- वेदारम्भ
- समावर्तन - शिक्षा प्राप्ति के बाद घर लौटना
- विवाह
- वानप्रस्थ
- अंत्येष्टि
- ब्रह्म विवाह - इसमें पिता वर को बुला कर कन्या को सौंपता था | यह सबसे उत्तम था | विवाह समान वर्ण में होता था
- दैव विवाह - इसमें यज्ञ करने वाले ब्राह्मण को कन्या सौंप दी जाती थी
- आर्ष विवाह - इसमें कन्या के पिता को वर पक्ष एक जोड़ी बैल देता था
- प्रजापत्य विवाह - इसमें पिता वर पक्ष से कर्तव्य निर्वहन का वचन लेता था | यह विवाह बिना लेन-देन के होता था
- गंधर्व विवाह - यह प्रेम विवाह था |
- असुर विवाह - कन्या को खरीद कर विवाह किया जाता था |
- राक्षस विवाह - अपहरण करके विवाह
- पैशाच विवाह - बलात्कार या विश्वासघात द्वारा विवाह
- निरुक्त - यह शब्दों की व्युत्पत्ति से सम्बंधित है
- व्याकरण - भाषा विज्ञान से सम्बंधित है (जैसे - पाणिनी का अष्टाध्यायी, पतंजलि का महाभाष्य, कात्यायन का वार्तिक)
- ज्योतिष - गृह-नक्षत्रों से सम्बंधित है (लगध मुनि का वेदांग ज्योतिष - इसको ज्योतिष का पहला ग्रन्थ माना जाता है)
- छंद - पदों को सूत्रबद्ध करने के लिए |
ऋग्वेदिक नदियाँ (Rigvedic Rivers)
दसराज्ञ युद्ध (Dasragya Yuddh)
वैदिकोत्तर साहित्य
वेदांग (Vedang)
गृहसूत्र में आठ प्रकार के विवाहों का भी उल्लेख है -
नोट : इसमें प्रथम चार उत्कृष्ट विवाह माने जाते थे तथा अंतिम चार निकृष्ट | धर्मसूत्र - सामाजिक नियमों से सम्बंधित | इसमें चार वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शुद्र) के कर्तव्यों का उल्लेख है एवं चार आश्रमों के कर्तव्यों का भी उल्लेख है |
स्मृतियाँ
- मनुस्मृति - यह सबसे प्रमुख व प्राचीन है | इसे मानव धर्मंशास्त्र भी कहते हैं |
- याज्ञवल्क्य स्मृति - इसम स्त्रियों को संपत्ति अधिकार देने की बात कही गयी |
- नारदस्मृति
- इससे गुप्त वंश का विवरण मिलता है
- इसमें स्त्रियों के पुनार्विवाह व नियोग की अनुमति है
- विष्णुस्मृति - यह गद्य में है
- देवलस्मृति - आठवीं से बारहवीं सदी - इसमें मुस्लिम धर्मं में परिवर्तित हिन्दुओ को पुनः हिन्दू बनाने के नियम दिए है |
नोट - मनुस्मृति पर भाष्यकार - मेघातिथि, कुल्लक भट्ट, गोविन्द राज, भरुचि
याज्ञवल्क्य स्मृति के भाष्यकार - विज्ञानेश्वर (मिताक्षरा नाम से, विश्वरूप, अपर्राक
पुराण (Puraan)
- इसका अर्थ है प्राचीन आख्यान। इनका रचनाकाल गुप्त काल से संबंधित है। उनके रचयिता लोमहर्ष अथवा उनके पुत्र उग्रश्रवा माने जाते हैं। इनकी संख्या 18 है सबसे पुराना मत्स्यपुराण है जिसमें भगवान विष्णु के 10 अवतारों का उल्लेख है।
पुराणों के नाम (Name of Puraan)
- ब्रह्म पुराण
- पद्म पुराण
- विष्णु पुराण
- शिव पुराण
- भागवत पुराण
- नारायण पुराण
- मारकंडेय पुराण
- अग्नि पुराण
- भविष्य पुराण
- ब्रह्म वैवर्त पुराण
- लिंग पुराण
- वराह पुराण
- स्कंद पुराण
- वामन पुराण
- कूर्म पुराण
- मत्स्य पुराण
- गरुण पुराण
- ब्रह्मांड पुराण
- विष्णु के अवतार - मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार, नरसिंह अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार, राम अवतार, कृष्ण अवतार, बुद्ध अवतार, कल्कि अवतार।
- उपनिषद - इसका शाब्दिक अर्थ है समीप बैठना। यह एकांत में सीखे जाते थे। इनकी संख्या 108 है इनको वेदांत भी कहते हैं। सत्यमेव जयते मुंडकोपनिषद से लिया गया है। यह भारतीय दर्शन के प्रमुख स्रोत हैं।
- आरण्यक - यह अरण्य शब्द से बना है। यह दार्शनिक ग्रंथ है। अरण्य का मतलब जंगल होता है। यह जंगल के शांत वातावरण में लिखे जाते थे।
महाकाव्य
महाभारत
- इसके संकलनकर्ता वेदव्यास हैं।
- इसकी रचना तीन चरणों में हुई है।
- प्रथम चरण 8800 श्लोक हैं। इसे जयसंहिता भी कहते हैं।
- द्वितीय चरण 24000 श्लोक हैं। इसे भारत कहते हैं।
- तृतीय चरण 1 लाख स्लोक हैं। इसे महाभारत या शतसहस्त्र संहिता कहते हैं।
- इसमें 18 पर्व हैं। इसके छठे पर्व में भीष्म पर्व है, जिसमें श्रीमद्भगवद्गीता है। इसमें ही पहली बार अवतारवाद की चर्चा मिलती है।
- महाभारत का पहला अनुवाद पेरूंदेवनार ने भारतम नाम से तमिल में किया।
- इसका बांग्ला में पहला अनुवाद काशीराम दास ने किया।
- भगवत गीता का बांग्ला में अनुवाद मालधर बसु ने किया था।
- गीता पर टीका लिखने वाले विद्वान - शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, मधुसूदन सरस्वती, संत ज्ञानेश्वर, बाल गंगाधर तिलक ( गीता रहस्य), अरविंद घोष ( Essays on the Gita), महात्मा गांधी (भगवत गीता) .
रामायण
- इसके रचयिता आदि कवि वाल्मीकि।
- रामायण का तमिल में पहला अनुवाद कंबल ने रामावतरम या रामायणम् नाम से किया। कंबन चोल शासक कुलोत्तुंग तृतीय का समकालीन था।
- रामायण का बांग्ला में अनुवाद सर्वप्रथम कृतिवास ने किया था।
- रामायण का तमिल भाषा में सच्ची रामायण नाम से अनुवाद ई वी रामास्वामी नायकर उर्फ पेरियार बाबा ने किया था।
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अति सुन्दर प्रस्तुति आपकी शब्द में
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