इतिहास (History) Manish KRK Rawat
Mob. No. 8853396301
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भारत का इतिहास (Indian History)
हेरोडोटस को इतिहास का जनक कहते हैं। यह यूनानी था। इसकी पुस्तक का नाम हिस्टोरिका था।
भारत के इतिहास को तीन भागो में बांटा जा सकता है -
- प्रागैतिहासिक काल/पाषाण काल
- आद्य-ऐतिहासिक काल
- ऐतिहासिक काल
१. प्रागैतिहासिक काल (Pre History/Stone Age)
δ ऐसा काल जिसके लिखित साक्ष्य उपलब्ध न हो। सिर्फ पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर निर्भर रहता है।δ सर्वप्रथम 1863 ईसवी में रॉबर्ट ब्रूस फुट ने पल्लवरम, तमिलनाडु से प्रागैतिहासिक खोजो की शुरुआत की।
δ रॉबर्ट ब्रूस फुट जियोलाजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया से संबंधित थे। वह मूलतः भूगर्भ वैज्ञानिक थे तथा पुरातात्विक भी थे। यह भारत में प्रागैतिहासिक खोजों के जनक माने जाते हैं।
δ भारतीय पुरातत्व विभाग के जनक - अलेक्जेंडर कनिंघम। (1861 में लार्ड कैनिंग के समय स्थापित, भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रथम महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम थे वर्तमान में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग संस्कृति मंत्रालय से संबंधित है।)
δ भारत में पुराने पाषाण उपकरण बोरी, महाराष्ट्र से प्राप्त हुए जो लगभग १४ लाख वर्ष पूर्व के हैं।
δ पाषाण काल के तीन भाग हैं - a) पुरा पाषाण काल, b) मध्य पाषाण काल एवं c) नव पाषाण काल
a) पुरा पाषाण काल (Paleolithic Period)
δ समय : 25 लाख ई. पूर्व से 10000 ई. पूर्व
δ लक्षण : आखेटक या शिकारी एवं खाद्य संग्राहक, पशुपालन का ज्ञान नहीं, कृषि का ज्ञान नहीं, आग का ज्ञान पर उपयोग का ज्ञान नहीं
δ औजार : स्फटिक या क्वार्टजाइट, शल्क, ब्लेड, हैण्डक्स उपकरण (हस्त कुठार, कुल्हाड़ी,कुल्हाड़ी गड़ासा)
δ स्थल : ↓
- अतिर्पक्कम (तमिलनाडु),
- हथनौरा (म0प्र0 नर्मदा घाटी) - मानव खोपड़ी एवं कंकाल का पहला साक्ष्य
- भीमबेटका (मध्य प्रदेश नर्मदा घाटी) - यहाँ से गुफा चित्रकारी का प्राचीन साक्ष्य मिला है, ये चित्र तीनो कालों से सम्बंधित है
- मिर्ज़ापुर (उत्तर प्रदेश) - यहाँ से तीनों कालो के औजार मिले है।
b) मध्य पाषाण काल (Mesolithic Period)
δ समय : 10000 ई. पूर्व से 4000 ई. पूर्व
δ लक्षण : पशुपालन की शुरुआत (पहला पशु - कुत्ता)δ औजार : माइक्रोलिथ (सूक्ष्म पाषाण उपकरण)
δ स्थल : ↓
- बागौर (राजस्थान) एवं आदमगढ़ (मध्यप्रदेश) - पांच हजार ई. पूर्व में पशुपालन का पहला साक्ष्य
- सराय नाहरराय (प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश) - युद्ध का साक्ष्य, चार नर कंकाल, स्तम्भ गर्त
- महदहा (प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश) - मृगश्रंग के छल्ले, हड्डी आभूषण, स्त्री-पुरुष शवाधान
- दमदमा (प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश) - तीन नर कंकाल, पांच युगल शवाधान
- लेखहिया (इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश) - सर्वाधिक मानव कंकाल
- चौपानी मांडो (इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश) - मृदभांड का प्राचीनतम साक्ष्य
c ) नव पाषाण काल (Neolithic Period)
δ समय : 10200 ई. पूर्व से 1000 ई. पूर्व
δ लक्षण : कृषि की शुरुआत (फसल - पहला जौ, गेहूं, चावल, मक्का), स्थायी जीवन की शुरुआत एवं आग के उपयोग की भी जानकारी, कुम्भकारी की शुरुआत
δ औजार : स्लेट पत्थर के औजार
δ स्थल : ↓
- मेहरगढ़ (बलूचिस्तान, पाकिस्तान) - 7000 ई. का कृषि साक्ष्य (पुराने खोजों में पहला)
- लहुरादेव (संत कबीरनगर, उत्तर प्रदेश) - 8000 ई. पूर्व का कृषि एवं चावल का साक्ष्य (नए खोजों में पहला)
- कोल्डिहवा (इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश) - 6500 ई. पूर्व का चावल का साक्ष्य
- बुर्जहोम (कश्मीर) - अर्थ - जन्म स्थान, लक्षण-लोग गड्ढो में रहते थे, शिकार एवं मछली पालन, एक कब्र में मालिक के साथ कुत्ते को दफ़नाने के प्रमाण मिला है।
- गुफ्फकराल (कश्मीर) - अर्थात-कुम्हार की गुफा। यहाँ से कृषि एवं पशुपालन दोनों दस साक्ष्य मिलते है।
- चिराद (सारण, बिहार) - हड्डियों के उपकरण
अन्य काल
a) ताम्रपाषण काल (Chalcolithic Period)
δ समय : 4000 ई. पूर्व से 1000 ई. पूर्व (अर्थात यह काल हड़प्पा पूर्व, हड़प्पा काल - 2350 ई. पूर्व तथा हड़प्पा पश्चात तीनों से सम्बंधित है)
δ लक्षण : कृषि संस्कृति एवं BRW मृदभांड प्रयोग करते थे।
δ औजार : पत्थर के साथ तांबे के औजारों का उपयोग (मानव द्वारा उपयोग में लायी गयी पहली धातु - तांबा)
δ स्थल : ↓
- बनास संस्कृति (राजस्थान)- बनास नदी पर स्थित।
- बनास संस्कृति का ही एक स्थानीय केंद्र अहाड (अन्य नाम - तांबवती या तांबे वाली जगह/स्थल) था, जिसके आधार पर इसे अहाड संस्कृति भी कहता है।
- अहाड़ संस्कृति के दूसरा केंद्र गिलुंद था।
- यह संस्कृति, हड़प्पा की समकालीन थी।
- कायथ संस्कृति, एरण, नवदाटोली (सभी मध्य प्रदेश में)
- दैमाबाद, जोरवे, नेवासा, नासिक, चंदौली (सभी महाराष्ट्र में)
- इनामगांव (महाराष्ट्र) - मातृदेवी की प्रतिमा तथा पांच कमरों वाला मकान मिला है।
b) लौह युग (Iron Age)
δ समय : 1000 ई. पूर्व
δ लक्षण : चित्रित धूसर मृदभांड की शुरुआत लौह युग से ही मानी जाती है।
δ औजार : लोहे का प्रयोग
δ स्थल : अंतरजीखेड़ा (एटा, उत्तर प्रदेश)- भारत में लोहे का पहला साक्ष्य
c) दक्षिण भारत में महापाषाण काल (Megalithic Period)
δ समय : लगभग 1000 ई. पूर्व
δ लक्षण : संस्कृति का नाम महापाषाण काल इसके कब्रों के कारण पड़ा, क्यूंकि कब्रों के ऊपर बड़े-बड़े पत्थर अर्थात महापाषाण का उपयोग होता था। एवं रागी व धान की खेती
δ औजार :
δ स्थल : संगनकल्लू (राख के ढेर - पशुपालन के साक्ष्य) बृम्हगिरि, पिकलीहल (सभी कर्नाटक में)
प्रमुख घाटी क्षेत्र
सोहन घाटी - पाकिस्तान, उत्तर पश्चिम भारत
बेलन घाटी - उत्तर प्रदेश
बनास घाटी - राजस्थान
नर्मदा घाटी - मध्य प्रदेश
कोर्तलयार घाटी - तमिलनाडु
प्रमुख घाटी क्षेत्र
सोहन घाटी - पाकिस्तान, उत्तर पश्चिम भारत
बेलन घाटी - उत्तर प्रदेश
बनास घाटी - राजस्थान
नर्मदा घाटी - मध्य प्रदेश
कोर्तलयार घाटी - तमिलनाडु
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very good
ReplyDeleteThanks Raghvendra Ji
DeleteSir am H.P.MAURYA director of M.D.C azamgarh I like your posts please share me my whatsapp no- 8416800908
ReplyDeleteThank you sire, sure please check your whatsapp
Deleteऐतिहासिक काल Post ?
ReplyDeleteaap is website ko subscribe kar lijiye. Jaldi hi Post ki jayegi
DeleteThanks for sharing History related important information.
ReplyDeletethanks for your comment
Deleteप्रागैतिहासिक काल के जनक डॉ प्राइम रोज को दिया जाता है
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