पुराण (Purana)
पुराण, हिन्दुओं के धर्म सम्बन्धी आख्यान ग्रन्थ हैं, जिसमें संसार - ऋषियों - राजाओं के वृत्तान्त आदि है। ये वैदिक काल के बहुत समय बाद के ग्रन्थ हैं, जो स्मृति विभाग में आते हैं।
भारतीय जीवन-धारा में जिन ग्रन्थों का महत्त्वपूर्ण स्थान है, उनमें पुराण प्राचीन भक्ति-ग्रन्थों के रूप में बहुत महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। अठारह पुराणों में विभिन्न देवी-देवताओं को केन्द्र मानकर पाप व पुण्य, धर्म व अधर्म, कर्म व अकर्म की गाथाएँ कही गयी हैं। कुछ पुराणों में सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक का विवरण भी दिया गया है।
पुराण के (५) पाँच लक्षण माने जाते हैं :
- सर्ग (सृष्टि) – बुद्धि, पंचमहाभूत, इन्द्रियगण आदि तत्त्वों की उत्पत्ति का वर्णन,
- प्रतिसर्ग (प्रलय, पुनर्जन्म) – ब्रह्मादिस्थावरान्त संपूर्ण चराचर जगत (Sansar) के निर्माण का वर्णन,
- वंश (देवता व ऋषि सूचियां) – सूर्यचन्द्रादि वंशों का वर्णन
- मन्वन्तर (चौदह मनु के काल) – मनु, मनुपुत्र, देव, सप्तर्षि, इन्द्र और भगवान् के अवतारों का वर्णन
- वंशानुचरित (सूर्य चन्द्रादि वंशीय चरित) – प्रति वंश के प्रसिद्ध पुरुषों का वर्णन।
अठारह पुराणों के नाम (Name of 18 Puran) -
- ब्रह्म पुराण (Brahm Purana)
- पद्म पुराण (Padma Purana)
- विष्णु पुराण (Vishnu Purana)
- वायु पुराण (Vayu Purana)
- भागवत पुराण (Bhagvat Purana)
- नारद पुराण ( Narad Purana)
- मार्कण्डेय पुराण (Markandey Purana)
- अग्नि पुराण (Agni Purana)
- भविष्य पुराण (Bhavishya Purana)
- ब्रह्मवैवर्त पुराण (Brahmvaivart Purana)
- लिङ्ग पुराण ( Ling Purana)
- वाराह पुराण (Varaah Purana)
- स्कन्द पुराण (Skand Purana)
- वामन पुराण (Vawan Purana)
- कूर्म पुराण (Kurm Purana)
- मत्स्य पुराण (Matsya Purana)
- गरुड पुराण (Garun Purana)
- ब्रह्माण्ड पुराण (Brahman Purana)
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