यजुर्वेद (Yajurved)
- यजु का अर्थ होता हैं यज्ञ।
- यह गद्य, काव्य दोनों में है।
- इसके दो भाग हैं -
१) शुक्ल यजुर्वेद या वाजसनेयी संहिता,
२) कृष्णा यजुर्वेद। - इसका उपवेद धनुर्वेद है।
- इसके ब्राह्मण शतपथ, तैतरीय।
- इसके आरण्यक शतपथ, तैतरीय, वृहदारण्यक।
- इसके अध्येता को अध्वर्यु कहते हैं।
- इसके उपनिषद तैतरीय, वृहदारण्यक, कठोपनिषद, श्वेताश्वर उपनिषद, मैत्रायण उपनिषद, महानारायण।
- वृहदारण्यक उपनिषद सबसे बड़ा उपनिषद है।
- यम-नचिकेता संवाद कठोपनिषद में है।
- गार्गी-याज्ञवल्क्य संवाद वृहदारण्यक में है।
- भक्ति शब्द का पहला उल्लेख श्वेताश्वर उपनिषद में है।
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